15th Oct, 2024
By Sunil Babu Mekale
करीब डेढ़ साल पहले, जब मैंने बेंगलुरु में अपनी नई नौकरी शुरू की, मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती कन्नड़ भाषा थी। यह मेरे लिए पूरी तरह से नई थी, और शुरुआत में इसे ना समझ पाना मेरे लिए कई मुश्किलें खड़ी कर रहा था। दफ्तर में सहकर्मियों के साथ बातचीत और रोजमर्रा के काम को समझना एक चुनौती बन गया था। लेकिन धीरे-धीरे, मैंने कन्नड़ को समझना और सीखना शुरू किया, और आज यह सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि यहाँ की भावनाओं, संस्कृति और जीवनशैली का प्रतीक बन गई है। कन्नड़ भाषा को सीखते समय, मैंने यहाँ के लोगों और उनकी जीवनशैली को भी गहराई से समझा। बेंगलुरु के लोगों की सरलता, स्नेह और सहयोग ने मुझे यह एहसास दिलाया कि भले ही हमारे बीच भाषा और स्थान का अंतर हो, लेकिन मानवीय संवेदनाएँ समान हैं। इसके बाद, मुझे कोप्पल के ग्रामीण इलाकों में काम करने का मौका मिला, और यह जगह मुझे अपने गाँव लातूर की याद दिलाती है। यहाँ के लोग, उनकी जीवनशैली, और संस्कृति में मुझे मेरे बचपन की झलक दिखाई देती है।
कोप्पल का ग्रामीण जीवन एक अलग ही दुनिया है, जो अक्सर शहरी जीवन की चकाचौंध में छिप जाता है। यहाँ का जीवन सादगी और आत्मनिर्भरता से भरा हुआ है। खेतों में मेहनत करने वाले लोग, सामुदायिक आयोजनों में उत्साह से भाग लेते हुए, और एक-दूसरे की मदद करने की भावना यहाँ के जीवन का आधार है। सीमित संसाधनों के बावजूद, ये लोग अपनी ज़रूरतों को पूरा करना बखूबी जानते हैं। जल प्रबंधन, ऊर्जा उपयोग, और पारंपरिक खेती में उनकी गहरी समझ और अनुभव, एक संतुलित और स्थायी जीवनशैली को दर्शाते हैं। यह सब मुझे लातूर के ग्रामीण जीवन की याद दिलाता है, जहाँ मैंने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण पल बिताए हैं।
कोप्पल की सांस्कृतिक धरोहर भी बेहद समृद्ध है। यहाँ के लोक संगीत, नृत्य, और कला में स्थानीय समाज की गहरी जड़ें हैं। शहरीकरण के बावजूद, ग्रामीण समाज ने अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को मजबूती से थामे रखा है। हाल ही में, मैंने गवी सिद्धेश्वर मठ की यात्रा की, जो एक अत्यंत आनंदमय और ताजगी भरा अनुभव था। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर भी अनमोल है। यहाँ की परंपराएँ, खानपान, और स्थानीय हस्तशिल्प मुझे लातूर की याद दिलाते हैं, जहाँ गाँव की सादगी और आत्मीयता में जीवन का एक अलग ही आनंद मिलता है। कोप्पल में रहते हुए मैंने यहाँ की सादगी और संतोष को करीब से देखा। लोग छोटी-छोटी खुशियों में आत्मसंतोष पाते हैं, और उनके लिए परिवार के साथ बिताया गया समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। यहाँ के पारंपरिक खानपान, स्वच्छ वातावरण, ताजे फल-सब्जियाँ, और जैविक उत्पाद यहाँ की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। यह अनुभव मेरे दिल को गहराई से छू गया है।
मेरा प्रोजेक्ट स्टाफ भी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनके साथ काम करते हुए, मुझे महसूस हुआ कि मैं केवल उन्हें मार्गदर्शन नहीं दे रहा, बल्कि उनसे भी रोज़ कुछ नया सीख रहा हूँ। यह आपसी सीखने का अनुभव मुझे हर दिन समृद्ध बना रहा है। जब भी मैं अपने क्षेत्र की लड़कियों से मिलता हूँ, जिन्हें हम “स्फूर्ति गर्ल्स” कहते हैं, तो उनकी आँखों में आत्मविश्वास और उत्साह की चमक मुझे हमेशा अचंभित करती है। इन लड़कियों का आत्मविश्वास और जागरूकता मुझे यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्यों मैं अपने बचपन में इतना जागरूक नहीं था। इनसे मिलने के बाद, मेरे अंदर भी एक नई उम्मीद जागती है। ये लड़कियाँ मुझे प्रेरित करती हैं, और उनके साथ बिताया गया समय मेरे लिए बेहद कीमती है।
कोप्पल और लातूर के बीच यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक कामकाजी सफर नहीं, बल्कि खुद को जानने और समझने का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी रही है। यह यात्रा केवल भौगोलिक नहीं रही, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और भावनात्मक सफर भी रही। कोप्पल और लातूर के बीच जो समानताएँ मैंने महसूस की हैं, वे इस बात को साबित करती हैं कि भले ही स्थान और भाषा अलग हों, लेकिन जीवन के संघर्ष और कहानियाँ एक जैसी ही होती हैं। हम सभी एक धारा में बह रहे हैं, और हमारी पहचान सिर्फ भाषा या स्थान से नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं और अनुभवों से जुड़ी होती है।